Thursday, April 27, 2017

Weekend Getaway


चलो दोस्तों कहीं निकल पड़ते है इस लम्बी छुट्टी पे
रास्ता भूला के कहीं फिर से खो जाते हैं
तारों की रोशनी में ठंडी ज़मीन पे सो जायें ज़रा
झरने की आवाज़ में और महकती हवाओं में उलझ जाएँ ज़रा
फिर से पहचान लेते हैं अपनी अपनी आवाज़ को 

चलो दोस्तों कहीं निकल पड़ते है इस लम्बी छुट्टी पे
सोमवार से दफ़्तर मे फिरस्त मुलाक़ात हो जाएगी तुमसे
वही पुराने भागमभाग और बेमतलब की लड़ाई में फँस जाएँगे
बोस्स की परेशानी और शिकायतें सब सह लेते हैं आसानी से
पैसों की भूख में मजबूर- मज़दूर बनचुके हैं 

चलो दोस्तों कहीं निकल पड़ते है इस लम्बी छुट्टी पे